गोहाना। बरोदा उप चुनाव के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों महत्वपूर्ण दलों ने लंगर-लंगोट कस लिए हैं। भाजपा को बरोदा का समर जीतने के लिए बड़ी लड़ाई लड़नी होगी। लड़ाई को आसान बनाने के लिए भाजपा बरोदा उप चुनाव से पहले कभी भी गोहाना को जिला घोषित करने का ट्रंप कार्ड खेल सकती है, जो इलाके की पुरानी मांग है।
Haryana: Gohana to become district before Baroda by-election!
Gohana. For the Baroda by-election, both the BJP and the Congress have tightened their belt. The BJP will have to fight a big battle to win Baroda. To make the fight easier, the BJP can play the trump card to declare Gohana a district anytime before the Baroda by-election, which is an old demand of the area.
काफी समय से बीमार चल रहे श्रीकृष्ण के 74 साल की उम्र में निधन के बाद बरोदा में उप चुनाव होगा।
बरोदा में पहली बार उप चुनाव होने वाला है।
बरोदा मोर के नाम से मशहूर बरोदा क्षेत्र सोनीपत जिला और लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है।
मूलतः यह सीट लोकदल और फिर इनेलो के खाते में रही, लेकिन जाट लैंड के नेता के तौर पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा के उभार के बाद बांगर के नेताओं के यहां से तंबू उखड़ने लगे।
वर्तमान में बरोदा में भूपेंद्र हुड्डा का प्रभाव क्षेत्र माना जाता है।
चुनाव आयोग की सिफारिशों के बाद 1967 में बरोदा को विधानसभा क्षेत्र घोषित किया गया था।
यहां के पहले चुनाव में कांग्रेस केआर धारी ने भारतीय जनसंघ के नेता डी. सिंह को परास्त किया था।
यहां से कांग्रेस के श्रीकृष्ण हुड्डा विधायक तीन बार विधायक बन चुके हैं।
श्रीकृष्ण हुड्डा यहां के कद्दावर नेता माने जाते रहे हैं और 2014 में मोदी लहर के बावजूद वे जीतकर विधानसभा पहुंचे थे।
गत चुनाव में भी हुड्डा ही यहां से विधायक बने थे।
तब हुड्डा को यहां 42 हजार 566 यानि 34.67 प्रतिशत वोट, भाजपा के योगेश्वर दत्त गौड़ को 37 हजार 726 यानि 30.76 प्रतिशत, जजपा के भूपिंद्र को 32 हजार 480 यानि 26.45 प्रतिशत और इनेलो के जोगिंदर को 3145 यानि 2.56 प्रतिशत वोट मिले थे।
इस तरह भाजपा के नॉन जाट प्रत्याशी पहलवान योगेश्वर दत्त गौड़ ने हुड्डा को कड़ी टक्कर दी थी।
चुनाव किसके लिए क्या हैं
भूपेंद्र हुड्डा के लिए यह सीट दोबारा जीतना अपनी साख बचाने सरीखा है, तो भाजपा यह सीट जीतकर विधानसभा में अपने संख्या बल को बढ़ाना चाहती है।
जजपा नेता अजय चौटाला संकेत दे चुके हैं कि यह उप चुनाव भाजपा और जजपा गठबंधन में लड़ने वाली है। उनका साझा उम्मीदवार होगा।
इन दिनों पैरोल पर बाहर आए सजायाफ्ता इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला की भी बरोदा में पूरी नजर है।
उनका ध्यान चुनाव जीतने से ज्यादा जजपा का गणित बिगाड़ने पर रहेगा।
खट्टर को चुनौती
यहां के लगभग 65 फीसद जाट मतदाता हुड्डा की ताकत हैं, जो गोलबंद होकर वोट करते हैं।
हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा ने चंडीगढ़ स्थित आवास पर कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई थी।
इस बैठक में बरोदा उप चुनाव के लेकर विस्तार से मंथन हुआ।
बैठक के बाद हुड्डा ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को चुनौती दी कि वे बरोदा उप चुनाव में बतौर प्रत्याशी आएं, तो वे
उनके विरुद्ध चुनाव लड़ेंगे।
इसके बाद सीएम खट्टर भी सक्रिय हो गए हैं।
जिले की हद तक
भाजपा पिछले चुनाव में प्राप्त 30.76 प्रतिशत वोट शेयर को बढ़ाने के लिए नई-नई युक्तियों पर कार्य कर रही है।
भाजपा यहां बंसीलाल-कार्ड खेल सकती है।
1996 में चौ. बंसीलाल की हरियाणा विकास पार्टी के राम प्रकाश दहिया ने जनहित मोर्चा के कृपाराम पूनिया को हराया था।
रामप्रकाश मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने चंडीगढ़ जा रहे थे, तो उनकी सड़क दुर्घटना में मौत हो गई।
तब यहां उप चुनाव हुआ था।
1996 में झज्जर उप चुनाव से पहले बंसीलाल ने इसे जिला घोषित कर दिया था।
इस उप चुनाव में कांता देवी जीती थीं।
कांता बंसीलाल के मंत्रिमंडल की सदस्य भी रहीं।
1999 में जब बंसीलाल सरकार का पतन हुआ, तो कांता इनेलो में शामिल हो गई थीं।
भाजपा का थिंक टैंक सोचता है कि बंसीलाल की तरह मुख्यमंत्री खट्टर गोहाना को समय रहते जिला घोषित कर दें, तो हुड्डा के प्रत्याशी को शिकस्त दी जा सकती है।
बरोदा के लोगों का गोहाना से आर्थिक और सामाजिक लगाव है।
गोहाना के जिला बनने से उन्हें काफी लाभ होगा।
यह तिकड़म भाजपा के वोट प्रतिशत को जीतने लायक बना सकता है।
कोई मुश्किल नहीं
सीएम खट्टर को जिला गठन अचूक उपाय लगता है, तो उन्हें ऐसा करने में कोई परेशानी नहीं भी नहीं हे।
सन 1826 में गोहाना को तहसील का दर्जा दिया गया था।
सन 1966 में हरियाणा को राज्य का दर्जा मिलने के बाद गोहाना को कभी रोहतक जिला तो कभी सोनीपत जिला के साथ नत्थी किया गया।
गोहाना को जिले बनाने के लिए वर्ष 2006 में क्षेत्र के लोगों ने जिला बनाओ संघर्ष समिति भी गठित की थी और आंदोलन भी किया था।
इस समय गोहाना में नगर परिषद है।
गोहाना को जिला बनाने की मांग और होम वर्क 2019 से ही बड़े पैमाने पर जारी है।
2019 में भाजपा सरकार के राजस्व वित्तायुक्त और राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने सोनीपत के जिला उपायुक्त को पत्र लिखा था।
इस पत्र में गोहाना को जिला बनाने की संभावनाओं पर रिपोर्ट मांगी गई थी।
तब से सरकार और डीसी सोनीपत के बीच कई बार चिट्ठी-पत्री हुई है।
ब्लू-प्रिंट लगभग तैयार पड़ा है।
इस फाइल को बस झाड़-पौंछकर तरो-ताजा करने भर की देर है।
भाजपा का एक्शन शुरू
इसके अलावा भी भाजपा सरकार यहां कई जतन कर रही है।
हाल ही में सीएम खट्टर ने 11 कॉलेजों की घोषणा की है।
इनमें से दो कॉलेज बरोदा में ही बनाए जाने की घोषणा की गई है।
एक बरोदा में बनेगा, तो दूसरा भैंसवान खुर्द में।
यह दोनों ही क्षेत्र के बड़े गांव हैं।
सीएम खट्टर ने यहां कई अन्य भी कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा की है।
पहली चुनौती
नवनियुक्त भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ओपी धनखड़ ने प्रधानी संभालने के बाद पहला बयान ही यही दिया है कि बरोदा उप चुनाव जीतना उनके लिए पहली चुनौती है।
धनखड़ को अपना यह कथन सार्थक बनाने के लिए और अपनी जाट नेता की छवि की सलामती के लिए यहां जाट वोटों पर सेंध लगानी होगी।
संजय भाटिया ने डेरा डाला
भाजपा ने करनाल के सांसद और सीएम के खास सिपहसालार संजय भाटिया को यहां का प्रभारी बना दिया है।
संजय भाटिया ने यहां कार्यालय भी बना लिया है और वे यहां रात्रि प्रवास भी कर रहे हैं।
उनके कार्यालय में भाजपा के छोटे से छोटे कार्यकर्ताओं का जमघट लगना शुरू हो गया है।
भाजपा कार्यकर्ताओं की समस्याओं और क्षेत्र की आवश्यकताओं पर संजय भाटिया ने कार्यवाही शुरू कर दी है।
संजय भाटिया ने थोड़े ही समय भाजपा कार्यकर्ताओं को विश्वास में लेकर यहां का राजनीतिक समाजशास्त्र बदल दिया है।
भाजपा ने यहां पिछली बार गैर जाट यानि योगेश्वर पर दांव लगाया था, जो काफी हद तक कामयाब रहा। उन्होंने श्रीकृष्ण हुड्डा को कड़ी टक्कर दी थी।
एक बार फिर से संजय भाटिया की तैनाती से प्रतीत होता है कि भाजपा यहां फिर से किस गैर जाट प्रत्याशी को ही मैदान में उतार सकती है।